सांवरे रे कैसा रे भऱम
तू मोहे मैं मोही जाऊं
तू बिंधे बंधती जाऊं रे
तू चाहे तब दिख जाऊं
तू दिख जाये खिलती जाऊं
नयन भर छूले मैं मर जाऊं
रिक्त कर दे रे तन मन
श्याम तू स्याह भाव तेरा तम
सांवरे रे कैसा रे भऱम
~ नवीन कुमार जन्नत
“Soulful Hindi & Urdu Shayari, English poetry, reflective articles & quotes by Naveen Kumar Jannat capturing life, love, nostalgia.”
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राधे-कृष्ण | Poetry | Kaho Jannat
रे कृष्ण !
नज़र भर लौट आते
कितनी आँखें रस्ते पाते
सखियाँ विरही व्याकुल
रही तरस वेदना विषतुल
ना मेरे प्रेम की राखो
आ जाओ इनके नाते
मैं ना देखूँगी तुमको
मैं पास नहीं आऊँगी
रे कृष्ण हृदय भर लो !
हे कृष्ण नज़र कर लो !
नज़र भर लौट आते
कितनी आँखें रस्ते पाते
सखियाँ विरही व्याकुल
रही तरस वेदना विषतुल
ना मेरे प्रेम की राखो
आ जाओ इनके नाते
मैं ना देखूँगी तुमको
मैं पास नहीं आऊँगी
रे कृष्ण हृदय भर लो !
हे कृष्ण नज़र कर लो !
मैं प्रेम करूं साचा राधे
मैं प्रेम करूं साचा राधे
पर तुम बिन मैं आधा राधे
आधे से प्रीति कहाँ उनको
मिथ्या बैराग भरा राधे
राधे री विरह नहीं होता
गर प्रेम रहे पल भर राधे
सखियाँ तुम में ही देखेंगी
अब कृष्ण तुम्हीं में है राधे
मैं प्रेम करूं साचा राधे
पर तुम बिन मैं आधा राधे
आधे से प्रीति कहाँ उनको
मिथ्या बैराग भरा राधे
राधे री विरह नहीं होता
गर प्रेम रहे पल भर राधे
सखियाँ तुम में ही देखेंगी
अब कृष्ण तुम्हीं में है राधे
— नवीन कुमार ‘जन्नत’
औरत होना आसान कहाँ | कृष्ण राधा प्रेम गीत | कहो जन्नत !
“किस रीति में सखी राधिका प्रेम व्रत से तोला जाये
लाख रहे कोई तन में पर मन में कौन ही थाह पाये
तुम विचलित ना हो जाना जब तन पर अधिकार करे कोई
तुम मन ही मन मुस्काना जब सारी हद पार करे कोई
मैं रहूँ करोड़ों कोस दूर पर मुझमें बस तुम ही तो हो
तुम तको चाँद जिस भी वर को पर मेरा प्राण तुम्हीं तो हो”
“तुम रहने दो बस रहने दो, जो है वो ही जी लेने दो
औरत होना आसान कहाँ, हे कृष्ण ! भूल ही लेने दो”
- नवीन कुमार ‘जन्नत’
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