सांवरे रे कैसा रे भऱम | Poetry & Quotes | Radha Krishna | Kaho Jannat

सांवरे रे कैसा रे भऱम
तू मोहे मैं मोही जाऊं
तू बिंधे बंधती जाऊं रे
तू चाहे तब दिख जाऊं
तू दिख जाये खिलती जाऊं
नयन भर छूले मैं मर जाऊं
रिक्त कर दे रे तन मन
श्याम तू स्याह भाव तेरा तम
सांवरे रे कैसा रे भऱम

~ नवीन कुमार जन्नत