तमन्ना दिल में है जो लब तलक आये कैसे
वक़्त को मोड़ कर फिर वक़्त दोहराये कैसे
उन्ही आँखों में तो एक रोज़ खो ही जाना है
उसी एक रोज़ को हर रोज़ बनाये कैसे
तमन्ना दिल में है जो लब तलक आये कैसे
गुलाब तुमको ये गुमान न हो जाये कंही
जनाब तुमसे मिले हैं तू जताये कैसे
तमन्ना दिल में है जो लब तलक आये कैसे
सुना है जुल्फ खुली छोड़ कर निकलते हैं
सुख़नवर जाये कंही और तो जाये कैसे
तमन्ना दिल में है जो लब तलक आये कैसे
उसकी बाँहों में समंदर है किनारे मैं हूँ
इश्क़ ताउम्र ये दूरी ही निभाये कैसे
तमन्ना दिल में है जो लब तलक आये कैसे
उसकी तस्वीर को जन्नत समेटे फिरता मगर
उसकी तस्वीर में सिलवट कोई लाये कैसे
तमन्ना दिल में है जो लब तलक आये कैसे
~ नवीन कुमार 'जन्नत'