Quotes & Poetry by Naveen Kumar

वस्ल करती है हिज्र करती है
दर्द का रोज जिक्र करती है
जिन्दगी तेरे बाद खुद ही से
दर्द देती है फिक्र करती है

किसी रिश्ते में दम नहीं लगता
कोई ज्यादा या कम नहीं लगता
आह मेरी है वाह भी मुझी से
अब किसी से भी हम नहीं लगता

अब चलूं अपनी जिंदगी को फिर थाम लूं
अपनी तन्हाईयों को नया काम दूं
बहुत कर चुका फिक्रें जतनें जिरह
अब जरा तो वफा को भी आराम दूं

बोलना सीख रहा हूँ, सीख जाऊँगा
तोडना सीख रहा हूँ, सीख जाऊँगा
तुमसा होना मगर आसान बहुत है
तुम्हीं से सीख रहा हूँ, सीख जाऊँगा

देखो, तुम चाह कर भी नही जा पायी हो
मेरी किताब के हर शब्द पर उतर आयी हो ...

तिनका तिनका सा जोडा था तुमको
तिनका तिनका ही बच गया हूं अब
सिमटा सिमटा सा बिखरा बिखरा सा
सबको अच्छा ही लग रहा हूं अब

तुम बिन कितना सूना सूना कितना ओझल सब कुछ
तुम संग अनवरत बहता अब कितना बोझल सब कुछ
तुम्हारे हाथ में खंजर दिया गया होगा
ठीक सीने में दागना कहा गया होगा
जिस ऐहतिराम से तुम मेरा नाम लेती थी
किसी रक़ीब से मुश्किल सहा गया होगा

~ नवीन कुमार 'जन्नत'