संस्मरण - बाल हृदय

कल रात बहुत देर से सो पाया अपने कामकाज के चलते सो आज सुबह भी आँख नहीं खुली । देर से उठा और दौड़ भाग शुरू हो गई । आज काम कुछ ज़्यादा ही था और जल्दी जाना था उल्टा देर हो गई । पिछले एक महीने से लगभग यही चल रहा था । अपनी इस व्यस्तता के चलते घर पर समय भी कम ही दे पा रहा था । आज अंतिम चरण का काम बाक़ी था । सुबह से दोपहर हो गई और खाना तो दूर एक पानी का गिलास पीने के लिए ईधर उधर होना मुश्किल लग रहा था । इसी व्यवसायिक व्यस्तता के बीच एक दम मेरा लगभग २ साल का बच्चा सामने से आ गया । उसने जैसे ही मुझे देखा, भागकर पैरों से लिपट गया । मैं किसी और के दफ़्तर में खड़ा था और वहाँ उसे ऐसे सभांलने में मैं हिचकिचाया । वो नहीं हिचकिचाया, वो लिपटा रहा । फिर दोनों पैरों के बीच से निकल निकल कर खेलने लगा । अब मुझे लगा कि ये दूसरों को भी काम से भ्रमित न करे सो मैं उसे गोद में उठाने के लिए नीचे झुका । जैसे ही मैं नीचे हुआ, इसने अपनी दोनों हथेलियों में मेरे गाल थामें और गर्दन पर लटक कर खुद कर मुझ पर जैसे न्योछावर कर दिया । ये बड़ी देर तक मेरे गले ये लटका रहा, फिर गले लग गया ऐसे की बहुत लम्बे अरसे बाद मिला हो ।