उम्र बढ़ तो रही है मगर दोस्तों
तुम सफर में रहो गर मेरे दोस्तों
जिन्दगी एक सहर सी गुजर जायेगी
साथ चलते रहो बस मेरे दोस्तों
बस मजा ही यही था कि तुम साथ थे
अब सजा भी यही है मेरे दोस्तों
हर सुबह साथ उठते थे एक दौर था
साल भर से कहाँ हो मेरे दोस्तों
याद रहतें है बेशक हमारे निशां
बात करती हैं रातों की खामोशियाँ
चहचहाते नजारे थिरकता समय
उगते बुनते सहारे मेरे दोस्तों
सांस थमने तलक साथ रहते रहो
साज तुमसे ही तो है शजर दोस्तों
‘जन्नत’ भी नहीं हो तो कट जायेगी
बिन तुम्हारे कहाँ फिर बसर दोस्तों
तुम सफर में रहो गर मेरे दोस्तों
जिन्दगी एक सहर सी गुजर जायेगी
साथ चलते रहो बस मेरे दोस्तों
बस मजा ही यही था कि तुम साथ थे
अब सजा भी यही है मेरे दोस्तों
हर सुबह साथ उठते थे एक दौर था
साल भर से कहाँ हो मेरे दोस्तों
याद रहतें है बेशक हमारे निशां
बात करती हैं रातों की खामोशियाँ
चहचहाते नजारे थिरकता समय
उगते बुनते सहारे मेरे दोस्तों
सांस थमने तलक साथ रहते रहो
साज तुमसे ही तो है शजर दोस्तों
‘जन्नत’ भी नहीं हो तो कट जायेगी
बिन तुम्हारे कहाँ फिर बसर दोस्तों
- नवीन कुमार ‘जन्नत’