तुम्हें एक खत में सब लिखें कैसे
ऐसी दोज़ख़ में कब लिखें, कैसे
तुम जिसे छोड़ कर के आये थे
तुम्हें उसी का अब लिखें कैसे !
ऐसी दोज़ख़ में कब लिखें, कैसे
तुम जिसे छोड़ कर के आये थे
तुम्हें उसी का अब लिखें कैसे !
हुस्न था शौक था रवानी थी
जिन्दगी थी भी के कहानी थी
कहो जन्नत की ज़िन्दगानी थी
थी कहानी, यही लिखें कैसे !
- नवीन कुमार ‘जन्नत’