“Soulful Hindi & Urdu Shayari, English poetry, reflective articles & quotes by Naveen Kumar Jannat capturing life, love, nostalgia.”
मअस्सला | Kaho Jannat | Poetry
उसने हँसकर बात क्या की हम दीवाने हो लिये
उस बखत के बाद से हम भी सियाने हो लिये
अब ना कोई रंग कोई राग दिल तक आ रहा
मअस्सला ये भी है कि अब हम पुराने हो लिये
इक दिन में नौकरी है तो आराम ही आराम है
इक रात है कि यूँ कटे जैसे ज़माने हो लिये
जानते थे लोग जो घर को कहाँ फ़ुरसत उन्हें
और जो फ़ुरसत में हैं वो घर जलाने हो लिये
बे काम की बातें नहीं करता है हमसे अब कोई
बे नाम की बातों के ‘जन्नत’ हम निशाने हो लिये
~ नवीन कुमार ‘जन्नत’