“होता है”
नये लोग,
पुराने लोगों से
बेहतर जाने लगते हैं
कुछ खास कयामत होती है
कुछ खास जताने लगते हैं
होता है,
कुछ लोग,
पुराने लोगों को
बेकार बताने लगते हैं
पुराने लोगों से
बेहतर जाने लगते हैं
कुछ खास कयामत होती है
कुछ खास जताने लगते हैं
होता है,
कुछ लोग,
पुराने लोगों को
बेकार बताने लगते हैं
कुछ लोग
नयी तस्वीरों से
घर बार सजाने लगते हैं
कुछ लोग
नयी तस्वीरों में
जीवन पथ पाने लगते हैं
सब होता है,
वो लोग
इसी भूले में हैं
जब समय सजावट लेता है
सब नया नयापन खोता है
“होता है”
हम ही तो हैं
हम में से ही
कुछ लोग निभाने निकले हैं
पागल हैं वे,
मूर्ख कहीं के
मान गंवाने निकले हैं
पर होता है
हम मे से ही
कुछ लोग उन्हें समझाते हैं
कि कलयुग है
अब राम यहां
ना ही पहचाने जाते हैं
वो लोग निभाने निकले जो
अब लौट के आने लगते हैं
एक समझ निरी भर लाते है
फिर औरों को समझाते हैं
कुछ लोग
जो सार समझ बैठे
भगवान कहाने लगते हैं
और फिर हम जैसे लोगों को
इंसान बताने लगते हैं
“होता है”
- नवीन कुमार ‘जन्नत’