इतना अहसान तो रखना तुम
थोड़ी पहचान तो रखना तुम
तुम आज की लय में बह लेना
पर कल का मान तो रखना तुम
आनी-जानी सी रूहों में
आना-जाना ना कर लेना
व्यापार नहीं है प्रेम प्रिये
इतना सा भान तो रखना तुम
तुम ग़ज़ल सरीखी बुनी गयी
‘जन्नत’ गुमान भर रखना तुम
- नवीन कुमार ‘जन्नत’