कौन सा ऐसा रंग है जिसका रंग नहीं हो तुझमें
गहरा हल्का फीका गाढ़ा सब रंग डाले तुमने
गहरा हल्का फीका गाढ़ा सब रंग डाले तुमने
मन को बांध के बैठा था मैं मन ही मन में कब से
मन में वो रंग राग रचा री रंग बैठा मन रंग में
मन में वो रंग राग रचा री रंग बैठा मन रंग में
तेरी आंखे तेरा चेहरा तेरा नूर अदा तेरी
मेरा अदब इमान नहीं रख पाया सब्र उमंग में
मेरा अदब इमान नहीं रख पाया सब्र उमंग में
तरूणी रूप तरंग तुम्हारी तन पर तीर तानती सी
कर ज्वलंत मृग तृष्णा जल मरने को वन चंदन में
कर ज्वलंत मृग तृष्णा जल मरने को वन चंदन में
मेरी अभिलाषा के ज्वर को अग्नि ताप रही हो
मोह पाश की पीड़ पड़ी तन कंचन आलिंगन में
मनस पटल पर चित्र तुम्हारा गहरा भरमा बैठा हूँ
पल भर को सच हो जाओ पल भर के जीवन में
मोह पाश की पीड़ पड़ी तन कंचन आलिंगन में
मनस पटल पर चित्र तुम्हारा गहरा भरमा बैठा हूँ
पल भर को सच हो जाओ पल भर के जीवन में
- नवीन कुमार ‘जन्नत’