आज़माने की बात | Poetry by Naveen Kumar

तुम्हे महसूस कर रहा हूँ मैं
तुम्हे अहसास हो नहीं भी हो

मुस्कुराते हुए आया करना
बात कुछ ख़ास हो नहीं भी हो

कोई ऐसी कहानी बुन लेना
जो किसी ने कभी सुनी ना हो

मुझसे बेशक ही झूठ बोलो मगर
लगे ऐसा की सच यही तो हो

भला है इंतजार ना करना
उसे घर का पता नहीं भी हो

आज़माने की बात नालाज़िम
इश्क़ हो बैर हो नहीं भी हो

किसी ‘जन्नत’ की सुखनवारी में
कोई शायर भी हो नहीं भी हो

- नवीन कुमार ‘जन्नत’