अच्छे रहे

बुरे भले जैसे रहे, अच्छे रहे
तेरे मेरे गिले रहे, अच्छे रहे
आंखो में एक सैलाब उफनता रहा
लब मगर सिले रहे, अच्छे रहे

हम साथ थे ख़ामोश पर हरदम रहे
हम साथ ना रहे मगर अच्छे रहे
तुमको भी भूलना हमें आसान रहा
फिर हम रहे जैसे रहे, अच्छे रहे

एक हादसे के दौर से संभले रहे
टूटे मगर जितने बचे अच्छे रहे
दुनिया से बचाया हमें अहसान रहा
दुनिया में ना उलझे रहे, अच्छे रहे

कोई नहीं काबिल मेरे यकीन के
सच जानते रहे तुम्ही अच्छे रहे
खुद से यकीं टूटा मगर मोहब्बत में
तुम पर यकीं करते रहे, अच्छे रहे

- नवीन कुमार ‘जन्नत’