खुद को ना आजमाया करो | Poetry | Kaho Jannat

ऐसे ना टूट जाया करो साथिया
खुद को जरा बचाया करो साथिया

तुमको तुम्ही से खतरा भी हो सकता है
खुद में ना डूब जाया करो साथिया

गर गीत प्रेम वाला कोई याद करो
मन ही में गुनगुनाया करो साथिया

मेरी जो गलतियां हैं मेरे नाम लिखो
खुद को ना आजमाया करो साथिया

कुछ पल से जिन्दगी नहीं साबित होगी
फुरसत से आया जाया करो साथिया

ऐसे ना टूट जाया करो साथिया
खुद में ना डूब जाया करो साथिया

-नवीन कुमार ‘जन्नत’