तुझे ढूंढने की खुशी जिये
तुझे खोने का गम भी सहा
तुझे रख रखा है समेटकर
तू नहीं मिला तो नहीं मिला
तुझे खोने का गम भी सहा
तुझे रख रखा है समेटकर
तू नहीं मिला तो नहीं मिला
फिर सोचता हूं मै कशमकश
वो पल तू मुझमें सिमट गया
तेरी डूबती आंखों ने जब
मुझसे मुझी को लपट लिया
तू मेरा नही ये हुआ ही कब
एक बार जब तू मेरा हुआ
तू रखले खुद को मेरे बिना
ये हुआ भी हो तो गज़ब हुआ
किसी रोज़ इस ही गुमान में
मर जाऊं तो ये खबर रहे
मैं तेरे बिना तू मेरे बिना
ये कहानी अपना बसर रहे
- नवीन कुमार ‘जन्नत’