हर साँस ज्यों सौग़ात

प्यार में साँवरे क्या बात होती है 
जिया जलता है ज्यों ज्यों रात होती है 

रैन अंधेरी में पसरा है वीराना जहाँ में 
दिल बहलता है जब तब चाँदनी से बात होती है

ज़माना बंदिशें लाखों करे दीदार--यार पे 
आँख बंद कीजे और महबूब से मुलाक़ात होती है

एक नजर तेरी गिरे सोचकर हर बार सजती हूँ
की उन आँखों से मोपे हुस्न की बरसात होती है

तेरी चाहत मेरी मन्नत मेरीजन्नतरे साँवरे
खुदाया इश्क़ में हर साँस ज्यों सौग़ात होती है

- नवीन कुमार ‘जन्नत’