तुम्हारा नाम आया था, जुबां पर
हजारों साज झनझरा से उठे
शोर इतना हुआ के रात भर में
मेरे जज़बात सरफिरा से उठे
तेरे आगोश की बातें भी हुई
मेरे रकीब मुस्करा से उठे
तेरी वफ़ा का गुमान किया
मेरे ख्याल बावरा से उठे
बात आयी के अब कहां है तू
मेरे अल्फ़ाज़ शायरा से उठे
तुम्हारा नाम आया था, जुबां पर
जहन-ओ-दिल जान थरथरा से उठे
नवीन कुमार ‘जन्नत’