जाने हम कहां होगे | Poetry | Quotes | Kaho Jannat

न जानूं वक्त की करवट
न जाने क्या सितम होंगे

उसी एक रूह के साये
न जाने कितनी शब होंगे

चमन से फूल चुनने को
न जाने कौन कब होंगे

जमाना हमको ढूंढेगा
न जाने हम कहां होगे

नवीन कुमार ‘जन्नत’