समय सदा अनुकूल नहीं । Kaho Jannat | Motivational Poetry | Quotes

समय सदा अनुकूल नहीं होता है तो ना हो
कायर साहस खो देता है आहत हो ना हो

झुण्ड सियारों के सिंहों से श्वास नहीं साझा करते
शोर शराबा जंगल मंगल जितना हो सो हो

कपटी कुंठित कुटिल कुटुंब को कुचला जाता है
रणनीति का रण हो या रण की रणनीति हो

युद्ध सखे ! अविरल ही चलता है जीवन पर्यन्त
पौरूष नित संग्राम रचे बाहु स्कन्ध जय हो

मर्यादा की लाज रहे और स्वाभिमान का मान
वज्र उठे नियत कोई दुर्योधन हो सो हो

राम रहे मन शंकर हो तन कृष्ण रहे बुद्धि
योग धरे भृकुटि वक्ष निर्भय विरालया हो

नवीन कुमार ‘जन्नत’