समय सदा अनुकूल नहीं होता है तो ना हो
कायर साहस खो देता है आहत हो ना हो
झुण्ड सियारों के सिंहों से श्वास नहीं साझा करते
शोर शराबा जंगल मंगल जितना हो सो हो
कपटी कुंठित कुटिल कुटुंब को कुचला जाता है
रणनीति का रण हो या रण की रणनीति हो
युद्ध सखे ! अविरल ही चलता है जीवन पर्यन्त
पौरूष नित संग्राम रचे बाहु स्कन्ध जय हो
मर्यादा की लाज रहे और स्वाभिमान का मान
वज्र उठे नियत कोई दुर्योधन हो सो हो
राम रहे मन शंकर हो तन कृष्ण रहे बुद्धि
योग धरे भृकुटि वक्ष निर्भय विरालया हो
नवीन कुमार ‘जन्नत’
“Soulful Hindi & Urdu Shayari, English poetry, reflective articles & quotes by Naveen Kumar Jannat capturing life, love, nostalgia.”