जाम बाकी हैं | Poetry

अभी कुछ काम बाकी हैं
अभी कुछ नाम बाकी हैं
अभी कुछ याद ताजा हैं
अभी कुछ जाम बाकी हैं
अभी कुछ दोस्त जिगरी हैं
अभी कुछ शाम बाकी हैं
अभी मैं ही तो भटका हूँ
अभी इन्सान बाकी हैं
अभी तुम मत बिको ‘जन्नत’
अभी कुछ दाम बाकी हैं

Naveen Kumar Jannat