बिसात | Poetry | Naveen Kumar Jannat

तुझे हमेशा याद करता है
आईना जब भी बात करता है
तेरी आँखों को ढूँढता है, जब भी
आईना खुद को साफ़ करता है
तेरी हँसी नहीं सुनता है तो
आईना तांक-झांक करता है
तेरे आने की इंतज़ारी में
आईना दिन को रात करता है
तेरी उदासी तेरे आंसू याद करता है
आईना टूट कर खुद को निशाद करता है
तेरी ‘जन्नत’ तो सिर्फ़ तुझसे थी
आईना अपनी दुआ की बिसात करता है