तुम्हारी गर्दिशें कराहेंगी
हरकतें खंगाली जायेंगी
ना सम्भाले सम्भाली जायेंगी
बहुत बातें उछाली जायेंगी
एक पल में तबाह हो जाओगे
कमी ऐसी निकाली जायेंगी
तुमने जो सबसे छुपाये रखी
वही खबरें उगाली जायेंगी
तुमने लोहे पे सर दे मारा है
दलीलें सारी खाली जायेंगी
जरा सी देर कर दी तुमने साथी
अब तो रिश्वत भी ना ली जायेंगी
कहो ‘जन्नत’ तुम्हारी आँखों से
कैसे पिछली दीवाली जायेंगी