कि जिन आँखों में डूब आये थे
उन्हीं नज़रों सें उतर आये हैं
तुम्हारी बात नादानी होगी
हमारे दिल ने घाव खाये हैं
मोहब्बत कब किसी की पूरी हुई
गीत कितनों ने गुनगुनाये हैं
वक़्त की आड़ में तुम भी “जन्नत”
कहा करो कि धोखे खाये हैं
Naveen Kumar Jannat