वक़्त की आड़ में | Hindi Poetry | Naveen Kumar Jannat

कि जिन आँखों में डूब आये थे
उन्हीं नज़रों सें उतर आये हैं
तुम्हारी बात नादानी होगी
हमारे दिल ने घाव खाये हैं
मोहब्बत कब किसी की पूरी हुई
गीत कितनों ने गुनगुनाये हैं
वक़्त की आड़ में तुम भी “जन्नत”
कहा करो कि धोखे खाये हैं

Naveen Kumar Jannat