दुनिया को दुनिया रहने दे | Poetry | Naveen Kumar Jannat

मत मान के मैं कुछ हूँ तेरा
अभिमान मेरा तो रहने दे
मत मान के तू हमसाया थी
पहचान कोई तो रहने दे
दुनिया नहीं भूला करती है
ये प्रेम प्यार अतरंगी से
मुझको बस तुझ तक बहने दे
दुनिया को दुनिया रहने दे

नवीन कुमार 'जन्नत'