सुन तू बन ठन के ना आया कर
और जो आ जाये तो ना जाया कर
तू खैर किया कर मेरी साँसों की
और खैर की ख़ातिर ही थम जाया कर
वो कंगन झुमका बिंदिया और काजल
मैं नज़र भर लूँ तू ना शरमाया कर
जिद कर रहा हूँ तू ज़रा ख्याल कर
ऐ ख़ूबसूरत ना मेरा सब्र आज़माया कर
Naveen Kumar Jannat