अहसास | Quotes | Poetry | Naveen Kumar Jannat

वो जो तुम तक पहुँच जायें तो अच्छा,
वरना समेट सहेज और सजाकर रखें हैं,
मैंने अपनी कहानी के उन पन्नों पर
जिन्हें आख़िरी साँस में एक दफा पलट कर देखूँगा
देखूँगा के कितना जी पाया
मैं,
मेरे दिल को !

नवीन कुमार जन्नत